CORONA की दवा FABIFLU (FAVIPIRAVIR) भारत में जानिए -
ग्लेनमार्क नाम की एक फार्मास्यूटिकल कम्पनी ने 20 जून को , ये जानकारी दी की वो भारत की पहली फार्मास्यूटिकल कंपनी बन गई है. जिसे रेगुलेटरी अप्रूवल मिल चूका है। फाविपिरावीर के मनुफेक्चरिंग और मार्केटिंग के लिए।
इस दवाई की कीमत 103 रुपए प्रति टेबलेट तथा पैकेट की कीमत 3500 रुपये जिसमे 34 टेबलेट्स होगी ,और ये हॉस्पिटल और केमिस्ट्स शॉप पर अगले हफ्ते से अवेलेबल हो जाएगी। आपको इसे खुद ही नहीं लेना है, बिना डॉक्टर की परमिशन के इसे नहीं लेना है। डॉक्टर भी इसे बिना मरीज की जांच किये नहीं दे सकता है। अगर देता भी तो उसे मरीज से पूछकर और लिखित रूप में लेना होगा की में तुम्हे फाविपिरावीर दे रहा हु ,आप इस दवाई के साथ कम्फर्टेबले है , तो ही इसे मरीज को दी जानी चाहिए।
इस दवाई को उन लोगो को भी दी जा सकती है जिन्हे डाईबेटिस और हार्ट की समस्या हो , इससे उन्हें कोई समस्या नहीं होगी। इसे लेने से। यह दवाई चार से पांच दिन मे अपना असर दिखा देती है, जिन्हे कोविद-19 के सुरुवात लक्छड़ हो उनके लिए ये दवाई असरदार होगी।
इसको लेकर सबसे बड़ी स्टडी वो हुई थी जापना में 2200 से ज्यादा लोगो पर यह स्टडी की गई, जिसमे 88%लोगो में संक्रमण घटता हुवा दिखा था 4 ही दिनों में सिम्टम्स में सुधार हुआ.साथ ही रूस और चीन में भी ये स्टडी हुई थी वहाँ भी इसके पॉजिटिव रिजल्ट आये थे
इस दवाई का व्यपारिक नाम फाबिफ्लू होगा, जिस नाम से लोग इसे शॉप से खरीदेंगे। और इसका प्रॉपर नाम फाविपिरावीर है. कंपनी जो इसे बनती है, ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल कंपनी ये पहली कंपनी है. जिसे मनुफेक्चरिंग और मार्लेटिंग के लिए मंजरी दे दी गई है।
वैसे फाविपिरावीर को मंजूरी मिलना कोई हैरानी भरा नहीं है। क्योकि पिछले दो महीनो से जहा भी दवाई को टेस्ट किया जा रहा है कोविद-19 के उपचार के लिए वहाँ पर फाविपिरावीर टॉप पर रही है रिजल्ट्स में जो भी पांच या छः दवाई आती है. न्यूज़ में अब ये भारत में पहेली दवा बन चुकी है ,जिसे हमारे ड्रैग ओथोरिट ने एप्रूव्ड कर दिया है शॉप में बेचने के लिए।
भारत में इस दवाई का नाम रहेगा, फाबिफ्लू वैसे ये जापान में डेवलप्ड की गई थी 2014 में, इसे जापान में अविगन या अबिगन के नाम से बेचा जाता है. वैसे इस दवाई का जैनरिक नाम एविफाविर है।
ये दवाई पूर्ण रूप से कारगर नहीं है, कोरोना वाइरस मरीजों के लिए ये बस उन मरीजों के लिए कारगर होगी जिनमे इस बीमारी के शुरुवाती लक्छण पाए जाते है। उन मरीजों में ही ये कारगर होगी न की जो मरीजी वेंटिलेटर में हो उनमे इस दवा का कोई असर नहीं होगा। लेकिन भारत में कोविद-19 के उपचार में अभी तक कोई ड्रैग एप्रूव्ड नहीं हुवा था. इसलिए ड्रग कंट्रोलर ऑफ़ इंडिया ने इसे फ़ास्ट ट्रैक किया है, और ग्लेनमार्क को परमिशन दी है ,सुरुवाती समय में ही सही कही ना कही ये दवाई कारगर तो है। इसलिए इसे अप्प्रोवेल दे दिया गया है।
भारत में दवाइयों को मंजूरी देता है, सेंट्रल ड्रग्स स्टैण्डर्ड कण्ट्रोल ओर्गनइजेशन (CDSCO ) ये आता है ,डायरेक्टरेट जर्नरल ऑफ़ हेल्थ सर्विस के अधीन जो आता है ,जो मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ और फैमिली वेलफेयर के अधीन आता है।
भारत के अलावा और भी देशो ने इस दवाई को मंजूरी दी है जिनमे इटली ,चीन और बांग्लादेश में भी इस दवाई को शॉप में बेचने के लिए मजूरी दे दी गई है।
ये दवाई हानिकारक हो सकती है उन महिलाओ के लिए जो प्रग्नेंट हो, इसलिए इस दवाई में कुछ हानिकारक लक्छड़ भी है। कुछ लोग इसे गेम चंगेर भी बोल रहे है ,क्योकि ये टेबलेट में भी मजूद है।
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