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आत्म निर्भर भारत योजना

मिजोरम राज्य सरकार ने आत्म निर्भर भारत योजना के तहत प्रवासी श्रमिकों को 10 kg चावल देने की योजना शुरू की है। 
Not just migrants, even needy without ration cards to get free ...

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भारत की जिलोमोल मैरियट थॉमस बिना हाथो के कार चलाने वाली एशिया की पहली महिला

भारत की जिलोमोल मैरियट थॉमस  बिना हाथो के कार चलाने वाली एशिया की पहली महिला बा नी - जिलोमोल मैरियट थॉमस  इनकी आयु 28 वर्ष की है| ये भारत के केरल से है| वैसे विश्व भर में बहुत सारे लोग बिना हाथो के ड्राइविंग करते है | ये बचपन से ही बिना हाथो के पैदा हुई इनकी इस दुर्लभता का कारण  थैलिडोमाइड सिंड्रोम नाम की बीमारी के कारण हुई ये बचपन से ही अपने पेरो से कार चलना सीख गई थी| पर  इने लाइसेंस एजेंसी द्वारा डाइविंग लाइसेंस नहीं पा रहा था|लाइसेंस एजेंसी द्वारा इनसे कहा गया की कोई और व्यक्ति  है,जो तुम्हारी तरह हो पेरो से ड्राइविंग  करता हो,और उसे लाइसेंस एजेंसी ने लाइसेंस प्रोवाइड कराया हो| तब उन्होंने  एक  पहले व्यक्ति को खोज निकाला जिनके हाथ ना  होते हुए भी उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया गया था। उनका नाम विक्रम अग्निहोत्री है। फिर भी उने  लाइसेंस नहीं दिया गया|इसके बाद उन्होंने 2018 में हाईकोर्ट के दरवजे खट-खटये, फिर उने  केंद्र सरकार के नोट  पर डाइविंग लाइसेंस जारी किया गया | आप इन फोटो की मदद से देख सकते है,की कोई कैसे अपने पेरो से भी ड्राइविंग कर सकता है|पर ये सम्भव हुआ वो भी एक लड़की

UN सैन्य जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड

UN सैन्य जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित हुई भारत की महिला मेजर सुमन गवानी  UN सैन्य मिलिट्री  एडवाकेट ऑफ़ द ईयर अवार्ड जितने वाली पहली भारतीय महिला सुमन गवानी बन गई है ,जो भारत के उत्तराखंड राज्य  से है।  भारत और उत्तराखंड वालो के लिए ये एक गौरव की बात है।  सयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत सुमन गवानी को साउथ सूडान में तैनात किया गया था   2016 में इस अवार्ड की शुरुआत की गई थी।  यह पुरस्कार शांति अभियानों में प्रमुखों और फोर्स कमांडरों द्वारा नामित महिलाओं के संयुक्त राष्ट्र सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत सैन्य शांति सैनिकों के समर्पण और प्रयास का सम्मान करता है।

Hydroxychloroquine के COVID-19 के परीक्षण पर रोक

WHO ने मलेरिया की दवा  Hydroxychloroquine के COVID-19 के  परीक्षण  पर रोक लगा दी।  पिछले कुछ महीनो से इस दवा का प्रयोग COVID-19 के मरीजों के लिए किया जा रहा था। ऐसा बोला जा रहा था, की यह दवा COVID-19 मरीजो के लिए कारगर साबित हो रही है। इस दवा की मनुफेक्चरिंग भारत में काफी मात्रा में हो रही थी।  और भारत ने इस दवा को कई और देशों को भी निर्यात किया जिसमे नेपाल ,इंडोनेशिया ,पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल है। यह दवा उन मिरिजो को देने की परमिशन थी, जो इसे ज्यादा इन्फेक्टेड थे। पर अब WHO ने इसके  परीक्षण पर रोक लगा दी है।