Skip to main content

चारधाम परियोजन

चारधाम परियोजन
(उत्तराखंड) बीआरओ की बड़ी उपलब्धि ,चम्बा में सुरंग का काम पूरा 

चारधाम परियोजना के तहत उत्तराखंड के चारो धामों को जोड़ने के लिए एक परियोजना चलाई गई, जिसका नाम चारधाम परियोजन है।
BRO achieves breakthrough in tunnel construction beneath Chamba ...

यह  योजन 12000 करोड़ की। जिसे 2021 तक किया जाना है। इस सुरंग को बीआरओ (BORDER ROAD ORGANISATION)   के अंतर्गत बनाय गया है। बीआरओ सरकार के प्रोजेक्टों पर पूरे देश भर में सुरंग रोड कंस्ट्रक्ट कराता है।   इस सुरंग की लम्बाई 440 मिटर है, जो ऋषिकेश और धरासू के बिच के सड़क में बनाई गई है। इस योजना में ऑस्ट्रिया  की तकनीकी  और इंजीनिअर्स का भी सहयोग लिया गया  है। इस सुरंग को बनाने में 88 करोड़ रूपये का खर्चा आया है।  और जो हमारे सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी ने इस कोरोना महामारी के बीच  सुरंग के सफलता पूर्वक सम्मन होने पर बीआरओ को शुभकामनाये दी। 

Chardham Project: BRO constructs 440-meter long tunnel below ...

Comments

Popular posts from this blog

भारत की जिलोमोल मैरियट थॉमस बिना हाथो के कार चलाने वाली एशिया की पहली महिला

भारत की जिलोमोल मैरियट थॉमस  बिना हाथो के कार चलाने वाली एशिया की पहली महिला बा नी - जिलोमोल मैरियट थॉमस  इनकी आयु 28 वर्ष की है| ये भारत के केरल से है| वैसे विश्व भर में बहुत सारे लोग बिना हाथो के ड्राइविंग करते है | ये बचपन से ही बिना हाथो के पैदा हुई इनकी इस दुर्लभता का कारण  थैलिडोमाइड सिंड्रोम नाम की बीमारी के कारण हुई ये बचपन से ही अपने पेरो से कार चलना सीख गई थी| पर  इने लाइसेंस एजेंसी द्वारा डाइविंग लाइसेंस नहीं पा रहा था|लाइसेंस एजेंसी द्वारा इनसे कहा गया की कोई और व्यक्ति  है,जो तुम्हारी तरह हो पेरो से ड्राइविंग  करता हो,और उसे लाइसेंस एजेंसी ने लाइसेंस प्रोवाइड कराया हो| तब उन्होंने  एक  पहले व्यक्ति को खोज निकाला जिनके हाथ ना  होते हुए भी उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया गया था। उनका नाम विक्रम अग्निहोत्री है। फिर भी उने  लाइसेंस नहीं दिया गया|इसके बाद उन्होंने 2018 में हाईकोर्ट के दरवजे खट-खटये, फिर उने  केंद्र सरकार के नोट  पर डाइविंग लाइसेंस जारी किया गया | आप इन फोटो की मदद से देख सकते है,की कोई कैसे अपने पेरो से भी ड्राइविंग कर सकता है|पर ये सम्भव हुआ वो भी एक लड़की

UN सैन्य जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड

UN सैन्य जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित हुई भारत की महिला मेजर सुमन गवानी  UN सैन्य मिलिट्री  एडवाकेट ऑफ़ द ईयर अवार्ड जितने वाली पहली भारतीय महिला सुमन गवानी बन गई है ,जो भारत के उत्तराखंड राज्य  से है।  भारत और उत्तराखंड वालो के लिए ये एक गौरव की बात है।  सयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत सुमन गवानी को साउथ सूडान में तैनात किया गया था   2016 में इस अवार्ड की शुरुआत की गई थी।  यह पुरस्कार शांति अभियानों में प्रमुखों और फोर्स कमांडरों द्वारा नामित महिलाओं के संयुक्त राष्ट्र सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत सैन्य शांति सैनिकों के समर्पण और प्रयास का सम्मान करता है।

Hydroxychloroquine के COVID-19 के परीक्षण पर रोक

WHO ने मलेरिया की दवा  Hydroxychloroquine के COVID-19 के  परीक्षण  पर रोक लगा दी।  पिछले कुछ महीनो से इस दवा का प्रयोग COVID-19 के मरीजों के लिए किया जा रहा था। ऐसा बोला जा रहा था, की यह दवा COVID-19 मरीजो के लिए कारगर साबित हो रही है। इस दवा की मनुफेक्चरिंग भारत में काफी मात्रा में हो रही थी।  और भारत ने इस दवा को कई और देशों को भी निर्यात किया जिसमे नेपाल ,इंडोनेशिया ,पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल है। यह दवा उन मिरिजो को देने की परमिशन थी, जो इसे ज्यादा इन्फेक्टेड थे। पर अब WHO ने इसके  परीक्षण पर रोक लगा दी है।